अगर किसी महिला को नैचुरली कंसीव करने में दिक्कत आ रही है, तो वह सीड साइक्लिंग से अपने गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकती है। जी हां, आजकल कई डॉक्टर कंसीव करने के लिए सीड साइक्लिंग की सलाह दे रहे हैं। अगर आप भी इनफर्टिलिटी का शिकार हैं, तो आप भी सीड साइक्लिंग ट्राई कर सकती हैं।
सीड साइक्लिंग के बारे में सबकुछ जानिए
ओसिस फर्टिलिटीवेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में बताया गया है कि सीड साइक्लिंग में अलसी के बीज, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज और तिल के बीज शामिल होते हैं। मासिक चक्र के अलग-अलग स्टेज पर इन बीजों का सेवन करना होता है/ इससे हार्मोंस को संतुलित करने और महिलाओं में फर्टिलिटी को बढ़ाने में मदद मिलती है। सीड साइक्लिंग शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नाम के दो महत्वपूर्ण हार्मोंस को संतुलित करती है। मासिक चक्र के दौरान इन हार्मोंस में लगातार बदलाव आते रहते हैं। 28 दिन के मासिक चक्र में दो चरण होते हैं और इन दो चरणों में आपको अलग-अलग बीजों का सेवन करना होता है।
पीरियड के पहले दिन से शुरू करनी होती है सीड साइक्लिंग
पीरियड के पहले दिन से ही सीड साइक्लिंग शुरू करनी होती है। पहले दिन से लेकर चौदहवें दिन तक फॉलिक्यूलर फेज होता है जिसमें आपको रोज एक चम्मच अलसी और एक चम्मच कद्दू के बीज का पाउडर लेना है। इसके बाद 15 से 28वें दिन तक ल्यूटियल फेज होता है जिसमें एक चम्मच तिल के बीज और एक चम्मच सूरजमुखी के बीजों का पाउडर लेना होता है। ओवुलेशन शुरू होने के बाद आप तिल और सूरजमुखी के बीज खाने शुरू करने होते हैं।
पाउडर बना कर कीजिए सेवन
आप इन बीजों को हल्का भूनकर इनका अलग-अलग पाउडर बना लें। अब एक-एक चम्मच पाउडर को आप अपने ब्रेकफास्ट सीरियल में डालकर खा सकती हैं। आप स्मूदी या लस्सी में भी इन बीजों को डाल सकती है। इसके अलावा सलाद या सूप में भी इन्हें मिलाया जा सकता है। एक कटोरी दही में भी बीज का पाउडर डालकर खा सकते हैं या फिर आप जो भी सब्जी बनाकर खा रही हैं, उसमें इस पाउडर को डाल लें।
शरीर में कई तरह के सकारात्मक बदलाव आएंगे
आपको इसका फायदा तीन से चार महीनों के अंदर दिखने लगेगा। यह 100 पर्सेंट नैचुरल है और आप बड़ी आसानी से इसे अपने रोज के रूटीन या डाइट में शामिल कर सकते हैं। सीड साइक्लिंग ये शरीर में कई तरह के सकारात्मक बदलाव आते हैं जैसे कि हार्मोंस का संतुलित होना, मासिक चक्र नियमित होना और प्रोजेस्टेरोन एवं एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल बढ़ना। ये फर्टिलिटी को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं जिससे कंसीव करने में मदद मिलती है।