मोटापा, डायबिटीज और दिल के मरीज को चीनी अधिक मात्रा में नहीं खानी चाहिए क्योंकि इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है. यह बात लगभग सभी लोगों को पता है लेकिन फेफड़ों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है इसे बहुत कम ही डॉक्टर मानते हैं. बहुत अधिक चीनी खाने से फेफड़ों के फंक्शन को नुकसान पहुंच सकता है, साथ ही सांस संबंधी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं. अब यह जानना बेहद जरूरी है कि चीनी फेफड़ों को किस तरह से प्रभावित करती है?
चीनी और शरीर में होने वाले सूजन के बीच का कनेक्शन
क्रोनिक सूजन
ज्यादा चीनी खाने से क्रोनिक सूजन का खतरा बढ़ जाता है. जिसके कारण सांस संबंधी बीमारियों का भी खतरा बढ़ने लगता है. कई बार चीनी भी क्रोनिक सूजन का कारण बन सकती है. जब कोई व्यक्ति हद से ज्यादा चीनी खाने लगता है तो यह शरीर में कई दूसरी बीमारियों को ट्रिगर करने लगता है. यह क्रोनिक सूजन कई तरह से फेफड़ों को प्रभावित कर सकती है जिससे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और ब्रोंकाइटिस जैसी स्थितियां हो सकती हैं या बढ़ सकती हैं.
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस
हद से ज्यादा चीनी खाने से शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ने लगता है. जिससे मुक्त कणों और एंटीऑक्सीडेंट के बीच असंतुलन होने लगता है, जिसके कारण सेल्स को कई तरह से क्षति होती है. फेफड़े विशेष रूप से उच्च ऑक्सीजन स्तरों के संपर्क में आने के कारण ऑक्सीडेटिव तनाव के प्रति संवेदनशील होते हैं. यह स्ट्रेस फेफड़ों के टिश्यूज को नुकसान पहुंचा सकता है और उनके कार्य को बाधित कर सकता है.
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चीनी और अस्थमा
अध्ययनों से पता चला है कि अस्थमा के मरीज को तो भूल से भी ज्यादा चीनी नहीं खाना चाहिए. इससे सांस की नली में सूजन और इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. अस्थमा को यह ट्रिगर भी कर सकती है. अस्थमा से पीड़ित बच्चों और वयस्कों को चीनी एकदम नाम मात्र ही खाना चाहिए.
इम्युनिटी को करती है कमजोर
चीनी खाने से इम्युनिटी कमजोर होने लगती है जिसके कारण कोई भी खतरनाक बीमारी लंग्स इंफेक्शन और सूजन का कारण बन सकता है. यह अस्थमा के लक्षण को ट्रिगर कर सकता है.
मोटापा, मधुमेह और फेफड़ों का स्वास्थ्य
अधिक चीनी खाने से मोटापे बढ़ने लगता है जिसके कारण सांस संबंधी बीमारी भी हो सकती है. साथ ही साथ सांस की नली में इंफेक्शन भी हो सकता है. सिर्फ इतना ही नहीं, यह स्लीप स्लीप एपनिया और फेफड़ों में इंफेक्शन का कारण बन सकता है.