अच्छी नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है, लेकिन भारत में बहुत से लोग रात में ठीक से सो नहीं पाते। एक मेडिकल कंपनी रेसमेड द्वारा कराए गए “स्लीप सर्वे 2024” में 17 देशों के लोगों की नींद की आदतों को देखा गया, जिनमें भारत भी शामिल था। इस सर्वे में 36,000 लोगों ने हिस्सा लिया. भारत में सिर्फ 27% लोगों ने बताया कि उन्हें हर हफ्ते अच्छी नींद आती है, यानि नींद पूरी भी होती है और अच्छी भी होती है।
ये आंकड़े चिंताजनक हैं और ये बताते हैं कि भारत में नींद ना पूरी होना एक बड़ी समस्या है।
नींद के विशेषज्ञ डॉ. सिबासीश डे का कहना है कि भारत में नींद के महत्व के बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं है। उनकी राय में इसकी दो मुख्य वजह हैं – पहली ये कि डॉक्टर भी नींद और उसके फायदों के बारे में ज़्यादा नहीं पढ़ते हैं और दूसरी वजह है लगातार बढ़ते शहरों की वजह से नींद को कम महत्व दिया जाना।
अच्छी नींद लेना ज़रूरी है
डॉ. डे का कहना है कि “हमारे देश में नींद के बारे में जानकारी बहुत कम है। इसकी दो वजह हैं. एक तो ये कि डॉक्टर नींद के बारे में कम पढ़ाई करते हैं और दूसरा ये कि शहर लगातार बढ़ रहे हैं जिसकी वजह से लोग सोने को ज़्यादा अहमियत नहीं देते. अगर उन्हें पता भी हो तो वो ये नहीं समझते कि अच्छी नींद लेना ज़रूरी है.”
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काम का तनाव नींद खराब करने का सबसे बड़ा कारण
इस सर्वे में ये भी पता चला है कि काम का तनाव नींद खराब करने का सबसे बड़ा कारण है। 42% लोगों ने बताया कि उन्हें काम के तनाव की वजह से नींद नहीं आती। अध्ययन में ये भी पाया गया कि वो लोग जो अच्छी तरह सो पाते हैं वो काम में ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं।
एक दूसरी स्टडी, “वेकफिट ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोरकार्ड (जीआईएसएस) 2024” में ढाई लाख भारतीयों की नींद के बारे में पता लगाया गया। मार्च 2023 से फरवरी 2024 तक कराए गए इस सर्वे में भी यही पाया गया कि लोग अच्छी नींद नहीं ले पा रहे हैं।
रात को ज़्यादा देर तक मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल
इस स्टडी में नींद खराब होने के दो मुख्य कारण बताए गए हैं – रात को ज़्यादा देर तक मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल करना और बढ़ता हुआ तनाव. सोने से ठीक पहले बहुत से लोग सोशल मीडिया और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं जिसकी वजह से देर से सोते हैं और उनकी नींद खराब होती है।