मेंस्ट्रूअल हेल्थ, इंटिमेट हाइजीन और पीरियड फ्लो के बारे में बातचीत करने से महिलाएं अक्सर हिचकिचाहट महसूस करती हैं। इसके चलते कई ऐसी समस्याएं होती है जो गंभीर रूप धारण कर लेती हैं। उम्र के साथ कई बार शरीर में ऐसे कई बदलाव आते हैं, जो कैंसर जैसी समस्या का संकेत बनकर उभरते हैं। मगर समय पर उसकी जांच न करवाना उसे खतरनाक स्थिति तक पहुंचा सकता है। आमतौर पर ब्लीडिंग होना पीरियड का संकेत माना जाता है। मगर हर बार पीरियड साइकल के बगैर ब्लीडिंग या स्पॉटिंग को नॉर्मल समझना स्वस्थ्य समस्या को बढ़ा सकता है।
गर्भाशय कैंसर महिलाओं में पाया जाने वाला तीसरा सबसे आम कैंसर है। साल 2023 में जून के महीने को गर्भाशय कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाने की पहल की गई थी। इसकी शुरूआत इंटरनेशनल गाइनोकोलॉजिक कैंसर सोसाइटी और इंटरनेशनल गाइनोकोलॉजिक कैंसर एडवोकेसी नेटवर्क की ओर से की गई।
इसका मकसद लोगों तक गर्भाशय कैंसर से जुड़ी जानकारी को पहुंचाना है। इंटरनेशनल गाइनोकोलॉजिक कैंसर सोसाइटी के अनुसार, पिछले तीस सालों में दुनिया भर में गर्भाशय कैंसर के 15 फीसदी मामलों में बढ़ोतरी पाई गई है।
क्या होता है गर्भाशय कैंसर
गर्भाशय में असामान्य कोशिकाओं के विकसित होने और उनकी मात्रा में होने वाली बढ़ोतरी यूटरिन कैंसर को दर्शाती है। गर्भाशय के कैंसर के दो मुख्य प्रकार होते हैं। पहला है एंडोमेट्रियल कैंसर, जिसके 95 फीसदी मामले पाए जाते हैं। दूसरा है यूट्रस सार्कोमस जो मसल्स टिशू यानि मायोमेट्रियम में विकसित होने लगता है।
ग्लोबोकैन 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, गर्भाशय कैंसर की गिनती भारत में तीसरे सबसे कॉमन कैंसर के रूप में की जाती है। हर 100 में से 90 महिलाएं इस कैंसर से ग्रस्त होती हैं। वे 1 साल के करीब अपना जीवन व्यतीत कर पाती है, वहीं 75 फीसदी महिलाएं 5 साल और 70 फीसदी महिलाएं 10 साल या उससे अधिक सर्वाइव करती हैं।
गर्भाशय कैंसर बढ़ने का कारण
इस बारे में प्रिस्टीन केयर की को फाउंडर डॉ गरिमा साहनी बताती हैं कि कई कारणों से असामान्य वेजाइनल ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। इसमें हार्मोनल परिवर्तन, गर्भाशय या योनि संक्रमण, फाइब्रॉएड, पॉलीप्स या मेडिकेशन शामिल होती है। इसके अलावा यूटरिन कैंसर जैसी गंभीर स्थितियां भी इसका कारण बन सकती हैं। गर्भाशय का कैंसर अक्सर असामान्य योनि रक्तस्राव रेक्टम में दर्द व प्रेशर और यूरिन व बॉवल मूवमेंट में बदलाव को दर्शाता है।
महिलाओं को खासतौर से मेनोपॉज के दौरान इर्रेगुलर ब्लीडिंग का सामना करने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसमें पेल्विक एग्ज़ामिनेशन, डायग्नोसिस और बायोव्सी के ज़रिए समस्या को समझने में मदद मिलती है।
गर्भाशय कैंसर में दिखने वाले संकेत
एबनॉर्मल ब्लीडिंग
एबनॉर्मल यूटरीन ब्लीडिंग एंडोमेट्रियल कैंसर का सबसे आम लक्षण माना जाता है। कैंसर की शुरूआत में ये लक्षण नज़र आने लगता है। इसके अलावा लास्ट स्टेज में भी ब्लीडिंग बढ़ जाती है। इसके लिए मेनोपॉज से पहले या उसके दौरान इर्रेगुलर ब्लीडिंग होने लगती है। कई बार सामान्य से अधिक रक्तस्राव भी पाया जाता है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट के मुताबिक, मेनोपॉज के बाद किसी भी ब्लीडिंग या स्पॉटिंग को असामान्य गर्भाशय रक्तस्राव की श्रेणी में रखा जाता है।
पेल्विक पेन
इस समस्या के कारण पेल्विस पर पेन और दबाव बढ़ने लगता है। इसके चलते पेल्विस पेन की समस्या का सामना करना पड़ता है। पेट के निचले हिस्से में होने वाली दर्द व ऐंठन इस समस्या का दर्शाते हैं। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक, अर्ली स्टेज के अलावा कई मामलों में आखिरी स्टेज पर भी पेल्विक पेन बढ़ने लगती है।
अचानक वेटलॉस
कैंसर का प्रभाव पूरे शरीर पर धीरे-धीरे नज़र आने लगता है। इससे एपिटाइट लो हो जाता है और ब्लोटिंग का सामना करना पड़ता है। इससे वेटलॉस बढ़ जाता है और शारीरिक अंगों में दुर्बलता बढ़ने लगती है। वे लोग जो आखिरी स्टेज पर होते हैं उनमें वेटलॉस तेज़ी से बढ़ने लगता है। इससे शरीर में इंफ्लामेशन का खतरा भी रहता है।
कमज़ोरी और दर्द
वज़न कम होने से शरीर में आलस्य और कमज़ोरी बढ़ जाती है। इसके चलते यूटरीन कैंसर से ग्रस्त महिलाओं को टांगों और लोअर बैक पेन की समस्या का सामना करना पड़ता है। मसल्स में क्रैंप्स बढ़ जाते हैं। इसके अलावा यूरिन पास करने के दौरान भी दर्द बढ़ता है और बार-बार यूरिन पास करने की समस्या बढ़ जाती है।