सिस्ट मतलब पानी की छोटी छोटी थैलियां! किडनी में सिस्ट बनना बहुत आम है हालांकि सिस्ट शरीर के अन्य अंगों में भी बनते हैं। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, सिस्ट बनने की समस्या बहुत आम हो जाती है। पहले इसका पता लगाना बहुत मुश्किल होता था लेकिन अब अल्ट्रासाउंड इमेजिंग की वजह से किडनी सिस्ट तुरंत पकड़ में आ जाते हैं और समय पर निदान भी हो जाता है। किडनी सिस्ट 2 तरह से हो सकते हैं, पहला स्पोरेडिक सिस्ट के रूप में हो सकता है और दूसरा आनुवंशिक पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (पीकेडी) के रूप में हो सकता है। इसे गंभीर होने से बचाने के लिए निदान और इलाज समय पर होना जरुरी होता है।
आमतौर पर बिना इमेजिंग परीक्षण कराए किडनी सिस्ट का पता नहीं चलता है क्योंकि इसके कोई लक्षण नहीं दिखते। लेकिन इनकी वजह से संक्रमण और बेचैनी हो सकती है। आनुवंशिक पॉलीसिस्टिक किडनी रोग अनुवांशिक कारणों से होता है। इसमें किडनी में कई सिस्ट बन जाते हैं, जिनकी वजह से उच्च रक्तचाप, लगातार बेचैनी, मूत्र में खून, गुर्दे की पथरी और अंत में किडनी फेल तक हो सकती है। इससे वयस्क और बच्चे दोनों प्रभावित हो सकते हैं। इसका सबसे आम रूप ऑटोसोमल डॉमिनेंट पीकेडी (एडीपीकेडी) है। किडनी की इन समस्याओं को नियंत्रित करने और दीर्घकालिक परिणामों से बचने के लिए समय पर इलाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत में 40 वर्ष से कम उम्र के लगभग 20% लोगों को नॉर्मल सिस्ट होता है, जबकि पीकेडी लगभग हर एक हजार लोगों में से किसी एक से लेकर हर 2500 लोगों में से किसी एक को हो सकता है। 1.4 बिलियन (140 करोड़) से ज्यादा बड़ी आबादी में यह संख्या काफी विशाल है, जिससे समय पर इसका उपाय करने के महत्व को बल मिलता है।
समय पर क्यों जरूरी है इलाज
- समय पर इलाज से सिस्ट की वृद्धि और किडनी के गंभीर नुकसान से बचा जा सकता है।
- पीकेडी को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक दवाओं और जीवनशैली में बदलाव से किडनी खराब होने की गति धीमी हो जाती है।
- किडनी ट्रांसप्लांट जैसे महंगे इलाज की जरूरत को कम करता है।
- लोगों और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों दोनों के लिए स्वास्थ्य सेवा के खर्च में कमी लाता है।
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इलाज के कौन से विकल्प हैं
दवाएं: पी.के.डी. बढ़ने की गति धीमी करने के लिए, टोलवैप्टन जैसी दवाएं दी जाती हैं। साथ ही इससे होने वाले उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए रक्तचाप की दवा जरुरी है।
जीवनशैली में परिवर्तन: कम सोडियम का आहार, नियमित व्यायाम और अच्छा हाइड्रेशन बनाए रखने व ऐसे पदार्थों से बचना जिनसे किडनी को नुकसान पहुंच सकता है, किडनी सिस्ट से बचा जा सकता है।
सर्जिकल इलाज: स्थिति गंभीर होने जैसे- दर्द या अन्य लक्षण उत्पन्न करने वाला बड़ा सिस्ट होने पर उसे सर्जरी द्वारा निकाल दिया जाता है।
भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में किडनी सिस्ट का इलाज समय पर किया जाना बहुत जरूरी होता है ताकि किडनी खराब होने से बचाई जा सके। किडनी रोग के भार को कम करने में जागरूकता, समय पर निदान और इलाज की महत्वपूर्ण भूमिका है। समय पर इलाज से लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है और स्वास्थ्य सेवा का खर्च कम आता है, साथ ही स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर कम दबाव पड़ता है। सिस्ट को शुरू में ही इलाज करके गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है और प्रभावित लोगों का एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।
- डॉ. अंकित शर्मा, कंसल्टेंट – यूरोलॉजिस्ट, मणिपाल हॉस्पिटल, खराडी, पुणे