कर्नाटक में हैजा के मामले बढ़े हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जनवरी से मार्च तक कुल छह मामले ही सामने आए थे, लेकिन एक से 15 अप्रैल तक कुल 21 मामले दर्ज हुए। बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) क्षेत्र में सबसे ज्यादा 13, बेंगलूरु शहरी में 10, मैसूरु में तीन मरीज मिले जबकि रामनगर जिले में एक मामला सामने आया।
बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के छात्रावास और मल्लेश्वरम स्थित एक पेइंग गेस्ट (पीजी) में हैजा के दो-दो मामले सामने आने के बाद से स्वास्थ्य विभाग और बीबीएमपी अलर्ट पर है। अधिकारियों के अनुसार रोकथाम के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। संबंधितों को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। पीजी आवास भी हाई अलर्ट पर हैं। पीजी मालिकों के संघ ने दिशा-निर्देश जारी कर पीजी मालिकों सहित इसके रहवासियों से सावधानी बरतने की अपील की है। दिशा-निर्देशों में बाहरी भोजन पर प्रतिबंध, आरओ वाटर प्यूरीफायर को अनिवार्य करना और रसोई व आसपास के अन्य क्षेत्रों में सफाई शामिल है। रसोई की सुविधा वाले पीजी को गर्म खाना परोसने के लिए कहा गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने कर्मचारियों को हैजा वाले क्षेत्रों के मैनहोल और सीवेज के पानी से नमूने इकठ्ठा कर जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए हैं। बीबीएमपी ने होटल, रेस्तरांं और कैफे के ग्राहकों के लिए उबला हुआ पीने का पानी देने की सलाह दी है।
हर मामले पर रखी जा रही नजर
बीबीएमपी के अधिकार क्षेत्र के तहत प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामान्य अस्पतालों, निजी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और निजी प्रयोगशालाओं जैसी निजी और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में हैजा के संदिग्ध मामलों को एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफॉर्म पोर्टल में रिपोर्ट किया जा रहा है।
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गंभीर मामलों में तुरंत उपचार
चिकित्सकों के अनुसार हैजा विब्रियो कॉलेरी नामक बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी है। यह बीमारी दूषित पानी या भोजन के माध्यम से फैलती है। दूषित भोजन या पानी का सेवन करने के 12 घंटे से पांच दिन के बीच इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं। पेट खराब होना हैजा का पहला लक्षण है। दस्त के अलावा उल्टी, प्यास लगना, लेग क्रैम्प, चिड़चिड़ापन, तेज धड़कन, लो ब्लड प्रेशर आदि भी हैजा के लक्षण हो सकते हैं। हैजा के गंभीर मामलों में इलाज की तुरंत जरूरत होती है।
शेल फिश, विशेष रूप से कच्ची या अधपकी, हैजा के बैक्टीरिया को भी आश्रय दे सकती है और सेवन करने पर संक्रमण के स्रोत के रूप में कार्य कर सकती है। सिंचाई या फिर भोजन तैयार करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दूषित पानी से हैजा का प्रकोप हो सकता है।
- निस्पंदन, क्लोरीनीकरण और उबालने जैसी जल उपचार विधियां जल स्रोतों से हैजा के जीवाणु को खत्म करने में मदद कर सकती हैं।
- साबुन और पानी से हाथ धोना, विशेष रूप से खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद, इसके संचरण को रोकने में महत्वपूर्ण है।
- फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोना और कच्चे या दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से बचने सहित उचित खाद्य स्वच्छता भी आवश्यक है।
वर्ष – मामले
2020 – 40
2021 – 20
2022 – 42
2023 – 108
2024 – 27