वर्तमान समय में गुर्दे में पथरी यानी किडनी की स्टोन की परेशानी बेहद आम हो गई है। मुख्य रूप से शरीर में पोटैशियम, प्रोटीन, सोडियम और शुगर की कमी के कारण किडनी में पथरी की समस्या हो जाती है। सिर्फ यही नहीं, कई बार ज्यादा नमक खाने से भी किडनी स्टोन की समस्या बढ़ जाती है। किडनी में पथरी होने पर पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। ऐसे में किडनी का ध्यान रखना बेहद आवश्यक हो जाता है इसलिए समय रहते किडनी के संक्रमण की पहचान कर इसका इलाज कराना बेहद जरूरी है। पथरी को दूर करने में होम्योपैथी इलाज भी काम आ सकता है।
गुर्दे की पथरी से पीड़ित मरीज अगर होम्योपैथी के इलाज को अपनाते हैं तो इससे न केवल यूरिन के जरिये पथरी को निकालना आसान हो जाएगा, बल्कि भविष्य में पथरी होने की संभावनाएं भी कम हो जाएंगी। ये स्टोन का आकार छोटा करता है या फिर उसके छोटे-छोटे टुकड़े करता है। माना जाता है कि सही होम्योपैथिक इलाज अगर मरीजों को मिले तो इससे कुछ ही दिनों या फिर महीनों में इस परेशानी से निजात मिल जाएगी।
हालांकि, होम्योपैथिक इलाज भी स्वयं से न करके एक्सपर्ट्स द्वारा कराया जाना चाहिए और यही वजह है कि आज हमारे साथ एक्सपर्ट एडवाइस के लिए आरोग्य इंडिया से जुड़े हैं डॉ प्रो डीके सोनकर। बता दें कि डॉ. डीके सोनकर लखनऊ स्थित राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में प्रिंसिपल के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सबसे पहले जानते हैं कि आखिर किडनी में स्टोन होता क्यों है?
सबसे पहले आपको ये पता होना चाहिए कि किडनी क्या है तो आपको बता दें कि किडनी हमारे शरीर का जरूरी अंग होता है। गुर्दा का मुख्य काम होता है कि हम जो भी खाते हैं, खाने के बाद उसका पाचन होता है, पाचन के बाद ब्लड में जाता है, ब्लड के बाद सीधे किडनी में जाता है और फिर किडनी में ही खाने का फिल्ट्रेशन होता है। किडनी के बाद मुख्य तत्व रिअब्जार्व हो जाता है। रिअब्जर्शन के बाद जो वेस्ट प्रोडक्ट होता है, उसका निष्क्रीशन होता है। निष्क्रीशन के बाद ये बाहर निकलता है।
इसको आप इस तरह समझ लीजिए कि शरीर का जो आंतरिक वातावरण होता है, किडनी उसको मेंटेन करने का काम करती है। यह हमारा पेयर ऑर्गन होते हैं, ये दो होते हैं, एक राइट और एक दूसरा लेफ्ट। तो स्टोन कभी राइट में होता है तो कभी लेफ्ट में होता है। अगर-अलग साइड के स्टोन की अलग-अलग दवाइयां होती हैं। सिम्टम्स के आधार पर होम्योपैथी दवाईयां दी जाती हैं।
किडनी का सबसे बड़ा कारण ये होता है कि हाइड्रोनेफोसिस, इसका मतलब होता है कि यदि हम पानी कम पी रहे हैं या कोई ऐसा ड्रग ले रहे हैं तो गुर्दे में सूजन पैदा होने लगती है। सूजन होने से किडनी अपना काम यानी फिल्टर नहीं कर पाती। इसीलिए कहा जाता है कि मुख्यता एक इंसान को 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए।
बच्चों में भी इस तरह की समस्याएं देखी जा रही हैं। इसके पीछे का क्या कारण है, इसको भी जान लेते हैं…
बच्चों में किडनी होने का कारण हमारा लाइफस्टाइल है। पहले के जमाने में आपने देखा होगा कि बच्चों को हगीस नहीं पहनाया जाता था, लेकिन अब हर बच्चे को हगीस पहनाया जाता है जिससे कि कपड़े न खराब हों। तो ऐसे में यूरिन का जो प्रॉपर्ली समय होना चाहिए, वो नहीं होता और यूरिन स्टोर हो जाता है। बहुत देक तक अगर यूरिन को होल्ड रखेंगे तो यह भी स्टोन का कारण होगा। दूसरा आनुवांशिक कारण भी हो सकता है। अगर बच्चों में इसका पता चल जाये तो होम्योपैथी से ठीक किया जा सकता है।
होम्योपैथी इलाज कारगर विधि है, लेकिन इसमें नियमों का पालन सख्ती से करना होता है। अगर नियम से दवा खाई जाए तो होम्योपैथी की मीठी गोली में हर मर्ज की दवा है। साथ ही इसका इलाज भी बेहद सस्ता है लेकिन, होम्योपैथी इलाज में लोगों को सब्र करने की जरूरत होती है।