स्वस्थ जीवन जीने के लिए मानसिक स्वास्थ्य का अच्छा होना बेहद जरूरी है। भागदौड़ भरी जिंदगी और आगे बढ़ने की जल्दबाजी में लोग अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं और कई बार अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं। अनिद्रा के कारण अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी होने लगती हैं।
अनिद्रा क्या है?
स्वस्थ जिंदगी के लिए अच्छी नींद बहुत जरूरी है। हमारे शरीर, मन और मस्तिष्क के काम को तरोताजा करने के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी होती है। नींद में अगर अस्थाई रूप से या स्थाई रूप से कोई समस्या हो तो स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इसलिए अनिद्रा यानी इन्सोम्निया स्वास्थ्य की तकलीफ का कारण भी हो सकता है और अपने आप में यह एक बीमारी भी हो सकती है और स्वास्थ्य संबंधी किसी तकलीफ या बीमारी का परिणाम भी हो सकता है। अगर आपको कभी-कभार अच्छी नींद नहीं आती है तो इस पर गौर करने की जरूरत नहीं है लेकिन अगर एक या दो हफ्ते तक नींद आने में तकलीफ हो या रात में नींद खुलती हो या अक्सर सुबह जल्दी नींद खुल जाती हो तो सावधान हो जाना जरूरी है।
अनिद्रा रोग का कारण क्या है?
जज्बाती कारण
कई बार घर-परिवार में कुछ अनबन के कारण, पार्टनर से कहासुनी के कारण या एग्जाम में कम नंबर और फेल होने के कारण नींद न आती है।
शारीरिक बीमारी
जब दर्द या शारीरिक समस्या के कारण नींद खराब हो जाये।
भौतिक कारण
भौतिक कारण अनिद्रा का सबसे पहला कारण है, जिसे अक्सर लोग इग्नोर कर देते हैं। बहुत मच्छर हैं, गर्मी ज्यादा है, ठंड ज्यादा है आदि वे भौतिक कारण हैं जिनके कारण नींद न आने की समस्या हो सकती है। ये सभी अस्थाई स्लीप डिस्टर्बेंस में आते हैं।
मानसिक बीमारी
मानसिक बीमारियों के कारण अनिद्रा के लक्षण को लोग अक्सर इग्नोर कर देते हैं। जबकि ये अनिद्रा का एक बड़ा कारण है, अगर पहले के 3 कारणों की वजह से आपकी नींद खराब नहीं होती है तो हमें मानसिक स्वास्थ्य के कारणों को ढूंढना चाहिए।
प्राइमरी इन्सोम्निया
अगर ऊपर लिखे चार कारणों में से कोई भी कारण अनिद्रा का नहीं है तो यह प्राइमरी इन्सोम्निया हो सकता है यानी अनिद्रा की बीमारी। इसकी जांच और इलाज बिल्कुल अलग है। कई बार लोग नींद की समस्या होने पर ट्रेंकुलाइजर और बेड टाइम सिडेटिव बिना किसी डॉक्टरी सलाह के लेने लगते हैं। नींद की दवाई सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। इसका इम्यून सिस्टम और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
बिना डॉक्टर की सलाह के नींद आने की दवा, ट्रेंकुलाइजर और सिडेटिव की शुरुआत कभी न करें और न ही इसे लंबे समय तक लें। अनिद्रा की बीमारी की जांच स्लीप लैबोरेटरी में होती है। जहां 2 से 3 रातों की EEG Study के बाद स्लीप लैब से पता चल सकता है कि आपको प्राइमरी इन्सोम्निया है या नहीं।
अनिद्रा को ठीक करने का ये है तरीका
- अपने हालातों को ठीक करें।
- शारीरिक बीमारी है तो इसका पता लगाएं और उचित इलाज करवाएं।
- अगर आपको तनाव है या इमोशनल डिस्टर्बेंस है तो इसकी जांच करें। जरूरत पड़े तो मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से सलाह लें।
- खुद का ध्यान रखें और बेहतर नींद के लिए स्लीप हाइजीन का ध्यान रखें, ये डिप्रेशन और तनाव को कम करने में भी मदद कर सकती है।
इस सभी टिप्स को अपनाने के बाद भी अगर आपकी अनिद्रा की शिकायत रहती है तब ही नींद की दवाइयों का इस्तेमाल करें। अगर जरूरी है तो आप डॉक्टर की सलाह पर कुछ समय के लिए नींद की दवा लें, लेकिन लंबे समय तक नींद की दवाइयां लेने से परहेज करें। आप जितने कम समय के लिए नींद की दवाइयां लेंगे उतना आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहेगा।
70 और 80 के दशक से 2000 और इसके बाद भी कुछ सालों तक ट्रेंकुलाइजर और सिडेटिव का इस्तेमाल होता रहा है। अब पिछले 10-20 सालों में स्लीप प्रमोटिंग एजेंट्स बतौर मेडिसन मिलने लगे हैं। आप अपने डॉक्टर से सलाह लें और उनसे पूछें कि ट्रेंकुलाइजर और सिडेटिव की जगह जो खास स्लीप प्रमोटिंग एजेंट्स हैं उनका इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं।
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अनिद्रा की समस्या के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है सेल्फ केयर यानी खुद का ध्यान रखना, हम सब के लिए स्लीप हाइजीन बहुत जरूरी है। जैसे कि लोग महामारी के दौरान शारीरिक हाइजीन का ध्यान सीख चुके हैं उसी तरह आप स्लीप हाइजीन का ध्यान भी रखें।
इन बातों का भी विशेष ध्यान रखें
- रात का खाना सोने से डेढ़ से दो घंटा पहले खाएं।
- खाना खाने के बाद तुरंत सोने की कोशिश न करें।
- कैफीन का सेवन शाम के 5 से 6 बजे के बाद न करें या कम करें।
- सोने से आधा या एक घंटा पहले हॉरर फिल्म या उत्तेजित करने वाली चीजें न देखें।
- स्लीप हाइजीन ठीक करने से कई बार अनिद्रा की समस्या अपने आप ठीक हो जाती है।